आप सबके स्नेह का आभार! पिछले दिनों मेरे साथ क्या हुआ आप सब जानते हैं। लेकिन बहुत से दोस्तों और मित्रों ने मेरे न लिखने के निर्णय को न मानने का आग्रह किया उनमें सर्वप्रथम मैं भाई श्री अनूप शुक्ल जी का आभार व्यक्त करता हूँ जिनकी टिप्पणी को मैंने कई बार पढ़ा और कई बार नज़रअंदाज़ कर दिया। लेकिन अंततः भाई अनूप शुक्ल की अनुभवी सलाह को मानना और अपने लेखन को जारी रखने की सलाह मुझे जायज़ भी लगी और साथ उन सभी दोस्तों के स्नेह का भी बार-बार ख़्याल आया जो मेरे न लिखने से दिल से आहत हैं। जिनमें बहुत से नाम उल्लेखनीय हैं इसलिये सभी के नाम न लेता हुआ मैं सभी का आभार जताता हूँ और आपसे वादा करता हूँ कि मैं भविष्य में भी पूरे उल्लास से लिखता रहूँगा और मैं उन सभी लोगों को नज़रअंदाज़ करता रहूँगा जो मुझे क्षति पहुँचाने के इरादे से की गई हों। मुझे पता है कि मेरी रचनाएँ आप सभी मित्रों को अच्छी लगती हैं इसलिए मुझे आपका आदर करते हुए लिखना है और लिखते रहना है। मैं अपने न लिखने के निर्णय को वापस लेते हुए सभी दोस्तों से आग्रह करता हूँ कि आपका स्नेह हमेशा मुझ पर इसी प्रकार बना रहे जिस प्रकार इस बार आपने मेरा साथ दिया है।
छोडो कल की बातें कल की बात पुरानी......
Written By Prakash Badal on Wednesday, May 6, 2009 | 7:27 AM
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लेख
AAP AAYE BAHAAR AAYEE...
ReplyDeleteAAPKA
ARSH
प्रकाश जी
ReplyDeleteअभी अभी आपका ब्लॉग सबसे ऊपर मेरे ब्लॉग की लिस्ट में नज़र आया...............
दिल उच्छल पढा ............क्या बताऊँ दिल से ख़ुशी हो रही है ...........
बस अब मजेदार सी पोस्ट का इंतज़ार है
aapke punaraagman par swagat hai. asha hai aap pahle se bhi adhik joshokharosh ke saath nai nai rachnayen prastut karenge.
ReplyDeleteहमें तो पता भी नहीं था इस घटना को,
ReplyDeleteऐसी बातों की क्या परवाह करना, लोग भी अच्छी सीरत और मन के भावों को पहचानते हैं। आप मन भर कर लिखिये, हम आयेंगे न पढने के लिये।
चलिये, बीति ताहि बिसार दे, आगे की सुधि ले।
ये हुई न अपनों वाली बात..आईये, इन्तजार लगा था. अब शुरु हो जायें नियमित.
ReplyDeleteअच्छा निर्णय लिया। बहुत-बहुत बधाई। अब नये सिरे ताजगी के साथ लिखना शुरू करें। शुभकामनायें।
ReplyDeleteपुनर्वापसी का स्वागत है ..
ReplyDeleteहाथी का चलना और कुत्तो का भोंकना पुरानी बात इससे हाथी का वजन कम होते नही देखा है आपका दुबारा लिखने का विचार बहुत खुशी दे रहा है । दिल एक गीत गुनगुना रहा है । हम तुम होंगे,बादल होगा ,रक्श मय सारा जंगल होगा.... गाना किस ने लिखा है पता नही । बचपन मे पाकिस्तान रेडियो पर सुना था ।
ReplyDeleteवापसी का स्वागत है जी ..बहुत अच्छा निर्णय लिया आपने
ReplyDeleteआइये बादल जी,
ReplyDeleteपहले हम जूनियर थे,,,क्यूंकि इस ब्लॉग जगत में काफी बाद में आये थे आपसे ,,,
अब आप नए सिरे से आ रहे हैं,,,सो अब हम सेनियर है और आप जूनियर ,,,,
हा,,,हा,,,,हा,,,,,,,,,,हा,,,,,,,,,,,,,,
स्वागत है आपका,,,,,
अब कुछ लिख डालिए गजल वजल ताकि पता लगे के आप में अब भी वही दम है या वक़्त के दीमक ने आपकी बाजुओं को चाट दिया है,,,हा,,हा,,,हा,,,,,,,
ऐसे ही कुछ था शोले का डायलोग,,,,,,,
आपके इस समझदारी पूर्ण निर्णय का स्वागत है...अब यूँ छोटी छोटी बातों पर रूठ कर मत जाना...
ReplyDeleteनीरज
जैसे ही ब्लॉग लिस्ट पर आपके ब्लॉग पर अपडेट नज़र आया, खुश हो गया। मुझे पता था कि आप आएंगे।
ReplyDeleteशुभकामनाएं
dhanyawaad,
ReplyDeleteaapka ye faislaa bilkul sahi hai...
प्रकाश जी ,
ReplyDeleteमन में एक बहोत बड़ा बोझ था ...बता नहीं सकती आज कितना हल्का महसूस कर रही हूँ....बहुत बहुत शुक्रिया हम सब का अनुरोध मानने के लिए ......आपके बिना तो सब सुना- सुना सा लग रहा था......जल्दी से नयी ग़ज़ल पढ़वाइये अब ......!!
welcome back..... :))
ReplyDeleteअरे..प्रकाश जी, कह नहीं सकता मैं कितना खुश हुआ हूँ...
ReplyDeleteशुभ-स्वागतम
मजा आ गया!!
wo aaye doobara blogging main pata nahi kiski inayat hai?
ReplyDeletekabhi hum unko kabhi unki post ko dekhte hain.
sawagatam
-Darpan Sah