wow twins,bahut bahut pyare bachhe hai,dher sara pyar aur ashirwad sahit,hamare pure parivar ki aur se,bade nayab kohinoor se hai,duahai dono ko khuda khub sari khushi de.
मीटर में? आप भी क्या बात करते हैं प्रकाश जी...इस से बेहतर तो शेर हो ही नहीं सकता...दोनों मिसरे एक से बढ़ कर एक...वाह...वा...इश्वर इन्हें लम्बी उम्र और ढेर सारी खुशियाँ दे.... नीरज
badal ji inko to kudrat ne hi meter men banaya hai. sher bhale na hon, hum bhale na hon, par ye to meter men hain. mahender ji aapki jaankari ke liye mere bhi do bete mohit, aur mudit twins hain jo 23 years ke hain.
बादल जी, यह गजल तो मुझे भी समझ मे आ गयी है । अब तक शायद नही समझ पा रहा था । यह रचना आपकी अन्य रचनाओं मे सर्वश्रेष्ठ है । बच्चो से मिलाने के लिये आभार ।
अरे प्रकाश साब आप अपना सबसे खूबसूरत मतला तो अभी तक छुपाये हुए थे....सुभानल्लाह। चचाग़ालिब होते तो इनपर अपना संपूर्ण दीवान निछावर कर देतें.... संभव और वैभव को ढ़ेर सारा प्यार और उन्हें हम सब से मिलवाने के लिये उनके पापा को सलाम
आपकी नयी तस्वीर खूब फब रही है। और ये नीच वाला जुमला हटा ही दीजिये, क्योंकि तमाम बहरो-वजन-मीटर में है संभव और वैभव के पापा की सूरत....इस निखरती हँसी पे कौन बेवकूफ़ मीटर नापने की हिमाकत करेगा????
parkash bhai, namaskaar ! ek khoobsurat aur mukammel ghazal ki tarjumaani karte hue ye do pyare-pyare misre... Sambhav aur Vaibhav bachche hmesha hi Bhagwaan ki surat hote haiN...aur in dono bachchoN ka roop bhi utna hi sundar hai jitni k Bhagwaan ki bnaai hui usski qudrat. mera inn dono ko bharpoor aashirwaad...aur aap sb parivaar waalo ko pranaam. aur aapki ghzaleiN to maiN hamesha mn se pasand karta hooN. ---MUFLIS---
आपके अब तक के ,, मत्लों में सबसे खूबसूरत,,,,, इश्वर इन्हें सदा ही खुश रखे,,,,जियो भतीजो,,,,, आपसे तो बहुत ज्यादा मीटर में हैं जी,,,,, इतने तो आप कभी ना हो पायेंगे,,,,,
बादल जी। आपकी गज़ल के दोनों मिसरे पूरी तरह मीटर में हैं और एक हो कर भी मुख्त्तलिफ हैं पहला संजीदगी लिये है तो दूसरा शोखी औढे है.रदीफ और काफिया भी सही है मुबारक हो....
भाई बादल जी, आप के ब्लॉग पर आया अच्छा लगा। जहाँ तक मीटर की बात है मित्र तो बुरा मत मानियेगा कि जब मीटर से परहेज है तो तुकान्त ही क्यों और रचनाधर्मिता प्रबल है तो ग़ज़ल विधा ही क्यों। महाप्राण निराला ने भी ग़ज़लें लिखी हैं और मुक्त छन्द के प्रणेता उस महान आत्मा ने उसमें मीटर का भलीभाँति पालन किया है। आप के कथ्य इतने सुन्दर हैं, शब्द भी सुरिचिपूर्ण हैं केवल अधिक लिखने की शीघ्रता संभवतः आपको मीटर तोड़ने के लिये बाध्य करती है। आपके कई शेरों में मैने पाया के उनमे प्रयुक्त शब्दों का क्रम परिवर्तन कर दिया जाय तो रचना मीटर में हो जायेगी और अर्थ भी परिवर्तित नहीं होगा। शेष आपकी इच्छा। आप समर्थ रचनाकार हैं। मेरी शुभकामनायें। सादर अमित
वाह वाह ....प्रकाश जी आप ये वाली ग़ज़ल तो छिपाए बैठे थे हमसे ...? वाह क्या शेर हैं......एक से बढ़ कर एक ....तेरा नाम करेंगे र्पुसन जग में तेरे राज दुलारे .....!!
प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद ! संभव व् वैभव के साथ साथ आपकी भी फोटो बहुत ही सुन्दर लग रही है ! सौन्दर्य भी यदि व्यवस्था के कुचक्र में फसे तो फिर उसका मतलब ही क्या रह जाता है !
Badal ji,
ReplyDeleteMeter ka to pata nahi ,
haan par apki ghazal, aap, Sambhav, Vaibhav.....
....Charron Ek mukimaal ghazal ke Sher hain !!
...Bahut Khoob !!
Asha karta hoon ki ye bhi bade hoke apki tarah naam roshan kareinge.
inko meri taraf se Pyaar dular aur ashirvaad....
शुक्रिया दर्पण भाई।
ReplyDeletewow twins,bahut bahut pyare bachhe hai,dher sara pyar aur ashirwad sahit,hamare pure parivar ki aur se,bade nayab kohinoor se hai,duahai dono ko khuda khub sari khushi de.
ReplyDeleteसंभव और वैभव ! बहुत प्यारे बच्चे, बहुत प्यारे नाम ! उनके भविष्य के लिए शुभ कामनाएँ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
सचमुच बडे प्यारे बच्चे हैं ... उन्हें मेरा स्नेहाशीष दें।
ReplyDeleteप्रकाश जी आप के दोनो बच्चे बहुत ही प्यारे है , हमारा दोनो का बहुत बहुत प्यार, खुब पढे लिखे, ओर खुब तरक्की करे.
ReplyDeleteआप का धन्यवाद
शानदार! ये मीटर में नहीं किलोमीटर में नहीं प्रकाशवर्ष में नापे जायेंगे। इनकी कीर्ति दिगदिगान्तर में फ़ैले!
ReplyDeleteअरे वाह! बहुत दिन बाद देखा. बड़े हो गए हैं. बहुत बहुत प्यार.
ReplyDeleteमीटर में? आप भी क्या बात करते हैं प्रकाश जी...इस से बेहतर तो शेर हो ही नहीं सकता...दोनों मिसरे एक से बढ़ कर एक...वाह...वा...इश्वर इन्हें लम्बी उम्र और ढेर सारी खुशियाँ दे....
ReplyDeleteनीरज
PRAKASH JI AAPKE YE DONO SHER... WAAH KYA KAHANE... DONO KE DONO KAMAAL KE .. BHALA ISASE BHI KOI BADHIYA SHER HO SAKTA HAI KYA....
ReplyDeleteSAMBHAV AUR BAIBHAV KO BAHOT BAHOT PYAR AUR AASHIRVAAD ...
ARSH
अरे वह दोस्त की बेटियों वाली फोटो तो लगाते है!
ReplyDelete---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
badal ji inko to kudrat ne hi meter men banaya hai. sher bhale na hon, hum bhale na hon, par ye to meter men hain. mahender ji aapki jaankari ke liye mere bhi do bete mohit, aur mudit twins hain jo 23 years ke hain.
ReplyDeleteबादल जी
ReplyDeleteये दोनों तो मीटर में ही लगते हैं......
हे..हे हे...
बहुत प्यारे बच्छे हैं, भगवान् लम्बी उम्र दे
बादल जी, यह गजल तो मुझे भी समझ मे आ गयी है । अब तक शायद नही समझ पा रहा था । यह रचना आपकी अन्य रचनाओं मे सर्वश्रेष्ठ है । बच्चो से मिलाने के लिये आभार ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर गजल!! दोनो मिसरे खूब जम रहे हैं।
ReplyDeleteज़िन्दगी की सबसे खुबसूरत गजल है यह ..बहुत आगे हर होंसले से हर मीटर हर ऊंचाई को नाप लेंगे यह ..नामा बहुत प्यारे लगे
ReplyDeleteदोनों को काला टीका लगा दे .फिर मीटर में हो जायेगे ...
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteजितना सुन्दर नाम,उतने ही प्यारे बच्चे...नजर न लगे....इन्हें मेरा बहुत बहुत स्नेह और आशीर्वाद... !
अरे प्रकाश साब आप अपना सबसे खूबसूरत मतला तो अभी तक छुपाये हुए थे....सुभानल्लाह।
ReplyDeleteचचाग़ालिब होते तो इनपर अपना संपूर्ण दीवान निछावर कर देतें....
संभव और वैभव को ढ़ेर सारा प्यार और उन्हें हम सब से मिलवाने के लिये उनके पापा को सलाम
आपकी नयी तस्वीर खूब फब रही है। और ये नीच वाला जुमला हटा ही दीजिये, क्योंकि तमाम बहरो-वजन-मीटर में है संभव और वैभव के पापा की सूरत....इस निखरती हँसी पे कौन बेवकूफ़ मीटर नापने की हिमाकत करेगा????
parkash bhai, namaskaar !
ReplyDeleteek khoobsurat aur mukammel ghazal ki tarjumaani karte hue ye do pyare-pyare misre...
Sambhav aur Vaibhav
bachche hmesha hi Bhagwaan ki surat hote haiN...aur in dono bachchoN ka roop bhi utna hi sundar hai jitni k Bhagwaan ki bnaai hui usski qudrat.
mera inn dono ko bharpoor aashirwaad...aur aap sb parivaar waalo ko pranaam.
aur aapki ghzaleiN to maiN hamesha mn se pasand karta hooN.
---MUFLIS---
भाई वाह-वाह
ReplyDeleteमिसरे पे मिसरा !
खूबसूरत मुकम्मिल ग़ज़ल
.
भाई यह तो कमाल ही है.
बधाई.
YE DONON SONDE TO BAAT BHI MEETER MEIN KARTE HAIN BHAI!
ReplyDeleteAAP KYAA BAAT KAR RHE HO?
KYAA UNHEN PATAA HAI;;;UN PAR MEETER CHLAA RAKHAA HAI :D
---
LUV U BRO
आपके अब तक के ,,
ReplyDeleteमत्लों में सबसे खूबसूरत,,,,,
इश्वर इन्हें सदा ही खुश रखे,,,,जियो भतीजो,,,,,
आपसे तो बहुत ज्यादा मीटर में हैं जी,,,,,
इतने तो आप कभी ना हो पायेंगे,,,,,
बादल जी। आपकी गज़ल के दोनों मिसरे पूरी तरह मीटर में हैं और एक हो कर भी मुख्त्तलिफ हैं पहला संजीदगी लिये है तो दूसरा शोखी औढे है.रदीफ और काफिया भी सही है मुबारक हो....
ReplyDeleteaapke bate bahut payare hai.
ReplyDeleteaap ghazal bhi bahut achchhi hai.
In bacchon ko meri shubhkaamnayein. Aaj post mein aaye hain kal Blog lekar aayein. Badhai.
ReplyDeleteये दोनों तो मीटर में ही लगते हैं......
ReplyDeleteभाई बादल जी,
ReplyDeleteआप के ब्लॉग पर आया अच्छा लगा। जहाँ तक मीटर की बात है मित्र तो बुरा मत मानियेगा कि जब मीटर से परहेज है तो तुकान्त ही क्यों और रचनाधर्मिता प्रबल है तो ग़ज़ल विधा ही क्यों। महाप्राण निराला ने भी ग़ज़लें लिखी हैं और मुक्त छन्द के प्रणेता उस महान आत्मा ने उसमें मीटर का भलीभाँति पालन किया है। आप के कथ्य इतने सुन्दर हैं, शब्द भी सुरिचिपूर्ण हैं केवल अधिक लिखने की शीघ्रता संभवतः आपको मीटर तोड़ने के लिये बाध्य करती है। आपके कई शेरों में मैने पाया के उनमे प्रयुक्त शब्दों का क्रम परिवर्तन कर दिया जाय तो रचना मीटर में हो जायेगी और अर्थ भी परिवर्तित नहीं होगा।
शेष आपकी इच्छा।
आप समर्थ रचनाकार हैं।
मेरी शुभकामनायें।
सादर
अमित
प्रकाश बादलजी
ReplyDeleteआप की रचनाएँ अच्छी लगी.
वाह वाह ....प्रकाश जी आप ये वाली ग़ज़ल तो छिपाए बैठे थे हमसे ...? वाह क्या शेर हैं......एक से बढ़ कर एक ....तेरा नाम करेंगे र्पुसन जग में तेरे राज दुलारे .....!!
ReplyDeleteदिल और दिमाग के भी मीटर हो सकते हैँ क्या?
ReplyDeleteये वो गज़ल है जो शब्दोँ से ना हो सकती बयाँ...
क्या रदीफ क्या काफिया ,सब तो छोटा कर डाला ,
सम्भव वैभव कर दे ,वैभव सम्भव करे उजाला,
etne dino se kahan chhupa rakhha ta inko.
ReplyDeletebahut pyara hai prakhash bhaiya.
khuda in dono ki jodi salaamat rakhe.
mera paper chal raha hai jis kaaran mai kuchh dino se aapko nahi padh paa raha tha.
प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद ! संभव व् वैभव के साथ साथ आपकी भी फोटो बहुत ही सुन्दर लग रही है ! सौन्दर्य भी यदि व्यवस्था के कुचक्र में फसे तो फिर उसका मतलब ही क्या रह जाता है !
ReplyDeleteनेह के अब तार जुड़ना संभव है
ReplyDeleteइक सहज निश्चिंतटा वैभव है
वाह मुकुल भाई आपकी टिप्पणी बहुत ही प्रेरक और बच्चों को विशेष अशीष देती है इस स्नेह के लिए आपका आभार।
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